जिनी मेरा बच्चा --
१ अगस्त २०११ को एक महीना ५ दिन की वो छोटी सी बच्ची जिनी (पग ) मेरे घर आयी। वो इतनी छोटी थी कि मेरी एक हथेली में समा जाती थी। उसे अपने हाथों में उठाते हुए मुझे बहुत ही डर लगता था। छोटे छोटे हाथ - पैर उसके, चलते - चलते अपने आप ही गिर जाती थी। सोच कर बहुत ही डर लगता था कि इतने छोटे पपी को हम कैसे पालेगें ? मैं अपनी बेटी रिनी पर नाराज भी होती थी कि वो क्यों उसे लायी ?जबकि रिनी की ८ सालों की जिद की वजह से ही जिनी हमारे घर आयी थी।
जिनी को घर लाने से पहले रिनी की जिद से ऑन लाइन हमने बहुत सारे कुत्ते देखे कि किसे हम पाल सकते हैं क्योंकि बड़े आकार के कुत्तों को पालना कोई आसान काम नहीं है वो भी मुंबई के २ बी एच के फ्लैट में। रिनी को बीगल ब्रीड का कुत्ता लेना था क्योंकि वही उसकी पसंद थी जबकि मुझे इनकी नस्ल की कोई विशेष जानकारी नहीं थी। मैं तो बस रिनी को खुश करने के लिये एक छोटे से आकार वाला डॉगी लाना चाहती थी जिसकी देखभाल करना आसान हो, वो भी इस शर्त पर कि उसकी सारी देखभाल सिर्फ उसे ही करनी है मुझसे किसी भी तरह की वो उम्मीद न करे।
रिनी के पापा हरीश शर्मा ने किसी परिचित से मालूम किया कि कहाँ से हम एक पपी ला सकते हैं ? तय तारीख़ में यानि १ अगस्त को रिनी गयी अपनी पसंद का बीगल पपी लेने लेकिन आयी पग पपी को लेकर। ९ क्लास में पड़ने वाली रिनी अपने हाथों में एक पग पपी को लिये घर आयी , पपी के साजो सामान के साथ , जिसमें उसका छोटा सा हरे रंग का हॉउस , खिलौने , खाना ( पेडिग्री ) शैंपू , कंघी आदि था। लेकिन मेरे में कोई विशेष उत्साह नहीं था उस पग को लेकर , क्योंकि मैं तो बस उसकी जिद के आगे झुकी थी दूसरा मुझे अनुमान था कि यह लेकर तो इसे आयी है यह कह कर कि उसकी देख रेख वो ही करेगी जबकि ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। घर के साथ - साथ मुझे ही इसका भी काम करना पड़ेगा और आगे चलकर ऐसा हुआ भी।
जब रिनी पपी को घर लाने की बात कर रही थी, तब ही उसका नाम क्या रखेंगे इस पर भी बहुत चर्चा हुई। रिनी ने कई अंग्रेजी नाम सुझाये जो कि मुझे तो बिलकुल भी समझ में नहीं आये और इसी तरह मेरे सुझाये नाम भी उसे बिलकुल पसंद नहीं आये। इसी बीच वो दिन भी आ गया जब पपी हमारे घर आ गया। तब मैंने पपी का नाम जिनी रख दिया यह सोच कर कि रिनी ही उसे लायी है तो उसके नाम से मिलता जुलता नाम हो गया जिनी। जब जिनी घर आयी तब रिनी उसकी माँ बनी और मैं जिनी की नानी। लेकिन पता ही नहीं चला मैं कब जिनी का माँ, उसकी सब कुछ बन गयी और वो मेरी।